History of India
उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुन्द्र यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से जाना जाता है।जिसे पुराणो में 'भरत का देश' कहा गया हैं।यूनानियों ने भारत को 'india' तथा मध्यकालीन मुस्लिमो ने 'हिन्दूस्तान' के नाम से संबोधित किया है।
भारतीय इतिहास को तीन भागो में बांटा गया है
1, प्राचीन भारत
2, मध्यकालीन भारत
3, आधुनिक भारत
प्राचीन भारत इतिहास को चार स्रोतों से प्राप्त किया जाता है(धर्मग्रन्थ, ऐतिहासिक ग्रंथ,विदेशियों का विवरण,पुरातत्व सम्बन्ध)
भारत का प्राचीन धर्मग्रन्थ 'वेद'(ऋग्वेद,यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) हैं
ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहते है। इसमें १० मंडल,१०२८ सूक्त और १०,४६२ ऋचाएं है।
सस्वर पाठ के लिए मंत्रो तथा बलि के समय अनुपालन के लिए नियमों का संकलन यजुर्वेद है,इसमें गद्य और पद्य दोनो है।
सामवेद गायी जा सकने वाली ऋचाओ का संकलन हैं।इसे भारतीय संगीत का जनक कहते हैं।
रोगनिवारण,तंत्रमंत्र,जादूटोना,वशीकरण,शाप,आशीर्वाद,स्तुति,विवाह,प्रेम,राजधर्म आदि का संग्रह अथर्ववेद हैं।
सबसे प्राचिन वेद 'ऋग्वेद' तथा सबसे बाद का वेद 'सामवेद' है।
>भारतीय पुराणो की संख्या १८ है जिसमें 'मत्स्यपुराण' सबसे प्राचिन माना गया है।
जिस काल में मनुष्य ने घटनाओं का कोई लिखित विवरण उध्दृत नही किया उसे 'प्रागैतिहासिक काल' कहते है।
इस काल के सबसे ज्ञानी मनुष्य को'होमोसैपियंस' कहते है।
'पूर्व-पाषाण यूग'के मानव की जीविका का मुख्य आधार शिकार था।
आग का अविष्कार 'पुरा-पाषाणकाल' में तथा पहिये का अविष्कार 'नव-पाषाणकाल' में हुआ था।
इस काल के कुछ प्रमुख तथ्य:-
>मनुष्य ने सबसे पहले 'कुत्ता' को पालतु बनाया।
>मनुष्य ने सर्वप्रथम 'तांबा' का प्रयोग किया था।
>मनुष्य ने सर्वप्रथम औजार के रूप मे 'कुल्हाड़ी' बनाया था।
>मनुष्य ने खेती करना 'नव-पाषाण काल' में सिखा और सबसे पहली फसल उसने 'गेहूं और जौ' उगाया।
>भारत का सबसे प्राचिन नगर 'मोहनजोदङो' है।
>सिन्धु सभ्यता की खोज 'रायबहादूर दयाराम साहनी' ने की।
>भारत मे आर्य सबसे पहले पंजाब में बसे थे।
>आर्यो का मुल निवास मध्य एशिया था।
>आर्यों द्वारा विकसित सभ्यता ग्रामीण सभ्यता थी।
>आर्यो की भाषा संस्कृत थी।
>आर्यो का मुख्य व्यवसाय पशुपालन एवं कृषि था।
>भारत में कुल १०८ उपनिषद तथा ६ वेदांग हैं।
>भारत के दो महाकाव्य है-रामायण एवं महाभारत
>विश्व का सबसे बड़ा महकाब्य महाभारत है।
'महाभारत' का पुराना नाम 'जयसंहिता' है।
'सत्यमेव जयते' मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है।
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