बौद्ध धर्म का इतिहास



बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। इन्हें एशिया    का ज्योति पुञ्ज Light of Asia कहा जाता हैैं। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णुजी केे दशावतार मे एक महात्मा बुद्ध भी है।

 बुद्ध का जन्म 563 ईसापूर्व  में कपिलवस्तु के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ  था।

इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे। इनकी माता मायादेवी का देहात इनके  जन्म सेे सातवेें दिन ही हो गया था ।इनकी  लालन पालन इनकी सौतेल मां प्रजापती गौतमी ने किया था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ  बचपन सेे ही  

विरक्त स्वभाव के थे।वो हमेशाा येे जानने मेें लगे रहते थे की दुख क्या है,मृत्यू का सच क्या है जिसके कारण इनका मन राजधर्म से विमुख हो रहा था। पिता ने जब अपने पुत्र की ऐसी दसा देखी तो उन्होने इनका विवाह करने का निर्णय लिया ताकि सिद्धार्थ का मन संसारिक मोह माया मे बट जाये।सिद्धार्थ का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हो गया।विवाह के उपरान्त इनका एक  पुत्र भी हुआ जिसका नाम राहुल था। 

                                एकदिन सिद्धार्थ अपने मंत्री चन्ना के साथ राज्य भ्रमण करने के लिए निकले थे तभी उन्होने रास्ते में तीन चीजे देखी (मृत शरीर,बुढा व्यक्ति और बिमारी के कारण पीड़ित महीला) जिसको देखकर उन्होने मनुष्य के इस दुख का निवारण करने का निश्चय किया।उसी वक्त सिद्धार्थ ने सन्यासी वेश बनाकर जंगल में तपस्या के लिए निकल गये।गृह त्याग करने के बाद सिद्धार्थ ने आलारकलाम से शिक्षा ग्रहण की।आलारकलाम सिद्धार्थ के प्रथम गुरू बने।इसके बाद इन्होने राजगीर में रुद्रकरामपुत्त से  भी शिक्षा ग्रहण की। लगभग 6 वर्ष की कठीन तपस्या के बाद 35 वर्ष की आयु में वैशाख पूर्णिमा की रात निरंजना नदी के किनारे पिपल के नीचे सिद्धार्थ को ज्ञान की       प्राप्ति हो गयी।ज्ञान प्राप्ति के बाद ये बुद्ध के नाम से प्रचलित हुए और जहाँ ज्ञान की प्राप्ति हुई वो स्थान बोधगया कहलाया। बुुुुुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ (वाराणसी) में दिया। बुुुुुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की अवस्था में कुशीनगर में चुन्द द्वारा अर्पित भोजन       करने के       बाद हो जिसे बौद्ध धर्म मे महापरिनिर्वाण कहा गया है।



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