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Showing posts from October, 2020

बौद्ध धर्म का इतिहास

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बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। इन्हें एशिया    का ज्योति पुञ्ज Light of Asia कहा जाता हैैं। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णुजी केे दशावतार मे एक महात्मा बुद्ध भी है।  बुद्ध का जन्म 563 ईसापूर्व  में कपिलवस्तु के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ  था। इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे। इनकी माता मायादेवी का देहात इनके  जन्म सेे सातवेें दिन ही हो गया था ।इनकी  लालन पालन इनकी सौतेल मां प्रजापती गौतमी ने किया था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ  बचपन सेे ही   विरक्त स्वभाव के थे।वो हमेशाा येे जानने मेें लगे रहते थे की दुख क्या है,मृत्यू का सच क्या है जिसके कारण इनका मन राजधर्म से विमुख हो रहा था। पिता ने जब अपने पुत्र की ऐसी दसा देखी तो उन्होने इनका विवाह करने का निर्णय लिया ताकि सिद्धार्थ का मन संसारिक मोह माया मे बट जाये।सिद्धार्थ का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में  यशोधरा के साथ हो गया।विवाह के उपरान्त इनका एक  पुत्र भी हुआ जिसका नाम राहुल था।                                  एकदिन सिद्धार्थ अपने मंत्री चन्ना के साथ राज्य भ्रमण करने के लिए निकले थे तभी उन्होने रास्ते में

जैन धर्म का इतिहास

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जैनधर्म के संस्थापक एवं प्रथम तीर्थंकर 'ऋषभदेव'  थे।क्योकिं ऐस  प्रमाण मिलता है कि ईंसवी सन् से एक शताब्दी पूर्व  ऋषभदेव की पुजा होती थी।                       महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें एवं अतिम तीर्थंकर हूए। महावीर स्वामी का जन्म 540 ईसा पूर्व में कुण्डग्राम (वैशाली) में हुआ था।इनके पिता सिद्धार्थ 'ज्ञातृक कुल' के सरदार थे और माता 'त्रिशला' 'लिच्छवि' राजा 'चेटक' की बहन थी। महावीर के बचपन का नाम 'वर्द्धमान' था। इनकी पत्नी का नाम 'यशोदा' तथा पुत्री का नाम 'अनोज्जा' था। जब ये 30 वर्ष के थे तभी इनके माता-पिता का देहान्त हो गया जिसके फलस्वरुप  वर्द्धमान के मन में वैराग्य ने जन्म लिया और उनका मन परिवार से विरक्त हो गया।वे जीवन के मुक्ति के कारणो को जानने के लिए इच्छुक हो गये। इन्होने अपने बड़े भाई 'नंदिवर्धन' से आज्ञा लेकर संन्यास जीवन को स्वीकार किया।                          12 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद वर्द्धमान को 'जृम्भिक' के समीप 'ऋजुपालिका' नदी के किनारे साल वृक्ष के नीचे सम्पुर्ण ज्ञान प

History of India

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उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुन्द्र यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से जाना जाता है।जिसे पुराणो में 'भरत का देश' कहा गया हैं।यूनानियों ने भारत को 'india' तथा मध्यकालीन मुस्लिमो ने 'हिन्दूस्तान' के नाम से संबोधित किया है।                      भारतीय इतिहास को तीन भागो में बांटा गया है 1, प्राचीन भारत 2, मध्यकालीन भारत 3, आधुनिक भारत                               प्राचीन भारत इतिहास को चार स्रोतों से प्राप्त किया जाता है(धर्मग्रन्थ, ऐतिहासिक ग्रंथ,विदेशियों का विवरण,पुरातत्व सम्बन्ध) भारत का प्राचीन  धर्मग्रन्थ ' वेद'(ऋग्वेद,यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) हैं  ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को  ऋग्वेद कहते है। इसमें १० मंडल,१०२८ सूक्त और १०,४६२ ऋचाएं  है।  सस्वर पाठ के लिए मंत्रो तथा बलि के समय अनुपालन के लिए नियमों का संकलन यजुर्वेद है,इसमें गद्य और पद्य दोनो है। सामवेद गायी जा सकने वाली ऋचाओ का संकलन हैं।इसे भारतीय संगीत का जनक कहते हैं। रोगनिवारण,तंत्रमंत्र,जादूटोना,वशीकरण,शाप,आशीर्वाद,स्तुति,विवाह,प्रेम,राजधर्म आदि का संग्रह अथर्ववेद हैं। सबसे प

एक नजर

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भारत अपनी संस्कृति और विरासत के कारण पुरे विश्व में जाना जाता हैं।इसकी सबसे बड़ी पहचान "अनेकता में एकता" है भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहाॅ हर एक  धर्म का स्वागत किया जाता है। भारत को विश्व गुरु भी माना  कहा गया।दुनिया को धर्म,योग और शास्त्र की शिक्षा देने वाला भारत ही हैं।भारत का पुराना नाम भारतवर्ष था जो 'शकुन्तला' और 'दुष्यन्त' पुत्र  'भरत' के नाम पर रखा गया। वही मुगल बादशाह 'अकबर' के शासन काल में इसको हिन्दुस्तान और 'अंग्रेजों' ने INDIA नाम दिया।विश्व की तमाम संस्कृति को अपने अन्दर सम्भालने वाला एक मात्र देश है जहाँ हिन्दू,मुस्लिम, सिक्ख,ईसाइ,बौध और जैन धर्म के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं।पुरब में अमरनाथ से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक अपनी विशालतम आभा को फैलाए हुए है,जिसकी पावन धरती को गंगा नदी अपनी पवित्र जल से सिचती है। भारत ज्योतिष विद्या पुरे विश्व में मशहूर हैं।